विश्व के सबसे बड़े एवं सक्रिय ज्वालामुखी मोना लोवा में 38 सालों बाद फिर विस्फोट

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विश्व के सबसे बड़े सक्रिय ज्वालामुखी मोना-लोवा (Mauna Loa) में 38 सालों बाद 28 नवंबर 2022 को  फिर से विस्फोट हुआ है।यह चार सदियों के बाद पहला विस्फोट है।जिसमें काले घने राख का गुब्बारा चारों ओर फैल गया।इस ज्वालामुखी में आखिरी विस्फोट वर्ष 1984 में हुआ था।जो काफी बड़ा और भयंकर था।मोन-लोवा ज्वालामुखी संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे बड़ा एवं सक्रिय ज्वालामुखी है।इसके आसपास पिछले दो महीनों से भूकंप के कई झटकों को दर्ज किया गया था।जो इस बात की ओर इशारा कर रहा था कि इस विशाल ज्वालामुखी के अंदर कुछ हलचल हो रहा है और इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हमारी आंखों के सामने ही है। हालांकि यह विस्फोट इतना भयंकर नहीं था।फिर भी लोगों को सतर्क रहने को कहा गया है और ज्वालामुखी से दूर रहने का निर्देश दिया गया है।क्योंकि यहां की हवा में राख के छोटे-छोटे कण घुल गए हैं।जो काफी घातक हो सकते हैं।

• World Largest Volcano मोना-लोवा कहां पर है :

मोना-लोवा ज्वालामुखी संयुक्त राज्य अमेरिका के हवाई द्वीप में स्थित है।जो इस देश का सबसे बड़ा द्वीप है।प्रशांत महासागर में स्थित यह द्वीप संयुक्त राज्य अमेरिका के हवाई राज्य का हिस्सा है।जो पश्चिम में मुख्य भूमि से लगभग 3,219 किमी. की दूरी पर स्थित है।भूवैज्ञानिकों द्वारा ऐसा अनुमान लगाया गया है कि मोना-लोवा ज्वालामुखी का विस्फोट आज से लगभग 50 हजार से लेकर 10 लाख सालों पहले शुरू हुआ था और तब से इसमें निरंतर विस्फोट जारी है। 

• हवाई द्वीप में कुल कितने सक्रिय ज्वालामुखी हैं :

हवाई द्वीप में कुल 6 ज्वालामुखी हैं- (i) किलाऊआ (Kilauea) (ii) मोना-किया (Mauna Kea) (iii) मोना-लोवा (Mauna Loa) (iv) हुलालाई (Hualalai) (v) कामाएहुकानालोआ (Kama'ehuakanaloa) तथा (vi) हालियाकाला (Haleakala)

(i) किलाऊआ (Kilauea)- यह हवाई द्वीप का सबसे नवीन तथा सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है।इस सक्रिय ज्वालामुखी में वर्ष 1983 से लेकर 2018 तक निरंतर विस्फोट जारी था।इस निरंतर विस्फोट के परिणामस्वरूप किलाऊआ ज्वालामुखी के शिखर पर स्थित "हालेमा उमा उ" क्रेटर पर एक लावा झील का निर्माण हुआ था। लेकिन वर्ष 2018 में ज्वालामुखी के निचले हिस्से में हुए विस्फोट के परिणामस्वरूप यह लावा झील ध्वस्त हो गया था।इसके बाद वर्ष 2021 में पुनः विस्फोट से "हालेमा उमा उ" क्रेटर पर फिर से लावा झील विकसित हो गया है तथा क्रेटर पर विस्फोट अब भी जारी है।जिस कारण यह हवाई द्वीप का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है।इस ज्वालामुखी का लगभग 90 प्रतिशत भाग 1200 वर्षों से भी कम आयु वाले लावा से ढंका हुआ है।

(ii) मोना-किया (Mauna Kea)- यह हवाई द्वीप का सबसे ऊंचा सक्रिय ज्वालामुखी है।आज से लगभग 5,000 साल पहले इस ज्वालामुखी में आखिरी विस्फोट हुआ था।हिमयुग के दौरान यह सुषुप्त अवस्था में पड़ा हुआ था तथा इसके शिखर को बर्फ की चादर ने ढंक लिया था।यह हवाई द्वीप का एकमात्र ऐसा ज्वालामुखी है।जो बर्फ से ढंक गया था।वर्तमान में इस ज्वालामुखी में कोई विस्फोट नहीं हुआ है।लेकिन यह अब भी लावा से‌ भरा हुआ है और आने वाले दिनों में इसमें विस्फोट की पूरी संभावना है।

(iii) मोना-लोवा (Mauna Loa)- यह सिर्फ हवाई द्वीप ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का सबसे विशाल और सक्रिय ज्वालामुखी है।बीते डेढ़ सौ सालों में इसमें लगभग 35 विस्फोट हो चुके हैं।जो आज भी जारी है।1984 में हुआ विस्फोट काफी बड़ा और भयंकर था।जिसका लावा बहते हुए इस द्वीप के रिहायशी इलाके हिलो तक पहुंच गया था। चूंकि इसमें जानमाल की हानि नहीं हुई।वर्ष 1984 के बाद पहला विस्फोट 28 नवंबर 2022 को हुआ।

(iv) हुलालाई (Hualalai)- यह हवाई द्वीप का तीसरा सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है।बीते 1600 वर्षों में इसमें लगभग 8 विस्फोटक हो चुके हैं।इसमें आखिरी विस्फोट वर्ष 1801 में हुआ था।जिसके परिणामस्वरूप लावा बहकर समुद्र तक पहुंच गया था।इस ज्वालामुखी का लगभग 85 प्रतिशत भाग 6000 वर्षों से भी कम आयु वाले लावा से ढंका हुआ है।

(v) कामाएहुकानालोआ (Kama'ehuakanaloa)- यह हवाई द्वीप का एकमात्र ऐसा सक्रिय ज्वालामुखी है।जो समुद्र तल के नीचे स्थित है।इसे पहले लोयही सीमाउंट के नाम से जाना जाता था।इसमें आंतरिक हलचल के परिणामस्वरूप वर्ष 1996 में आखिरी विस्फोट हुआ था।तब से लेकर आज तक इसमें कोई विस्फोट दर्ज नहीं किया गया है।

(vi) हालियाकाला (Haleakala)- हवाई द्वीप के अंतर्गत आनेवाले माऊ द्वीप का यह एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है। इसमें आखिरी विस्फोट आज से लगभग 500 साल पहले हुआ था।बीते 1500 साल में इसमें लगभग 10 विस्फोट हो चुके हैं। जिसके परिणामस्वरूप लावा बहकर इसके निचले हिस्से तक पहुंच गया।

• मोना-लोवा ज्वालामुखी में हुए विस्फोटों (Mauna Loa Eruption) का इतिहास :

मोना लोवा ज्वालामुखी का विस्फोट आज से लगभग 7 लाख साल पहले शुरू हुआ था।तब से इसमें लावा का प्रवाह हो रहा है।इस ज्वालामुखी के रिहायशी इलाकों में लोग बीते 1600 वर्षों से निवास कर रहे हैं। लेकिन इसमें ऐसा कोई बड़ा विस्फोट दर्ज नहीं किया गया है।जिससे लोगों को यहां से‌ पलायन करना पड़ा हो। भूवैज्ञानिकों द्वारा ऐसा अनुमान लगाया गया है कि 17वीं शताब्दी में इस ज्वालामुखी में विस्फोट हुए होंगे।चूंकि ये विस्फोट अपेक्षाकृत छोटे थे।इसलिए लोगों का ध्यान इस ओर नहीं गया।हालांकि कई लोगों द्वारा इस अवधि के दौरान विस्फोटों को देखें जाने का दावा किया जाता रहा है। परंतु साक्ष्यों के अभाव इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।

इस ज्वालामुखी का पहला ऐतिहासिक विस्फोट वर्ष 1843 में दर्ज किया गया था। जिसमें लावा का फव्वारा काफी ऊंचाई तक पहुंच गया था।मोना लोवा ज्वालामुखी किलाऊआ की तुलना में ज्यादा लावा का उत्पादन करता है।इसलिए जब भी इसमें विस्फोट होता है तो ज्यादा मात्रा में लावा का बहाव देखा जा सकता है।इस ज्वालामुखी में सबसे अधिक विस्फोट इसके शिखर पर हुए हैं।

वर्ष 1868 में एक तीव्र भूकंप के साथ इसमें विस्फोट हुआ था।यह भूकंप काफी बड़ा था। जिसमें 77 लोगों की जानें चली गई।इसके बाद इसमें लगभग 1200 दिनों तक चलने वाला भूकंप आया।जो शिखर तक नहीं पहुंच पाया था।1877 में समुद्र तल के नीचे एक विस्फोट दर्ज किया गया था। जिससे लावा के कठोर टुकड़ों को पानी के ऊपर तैरते देखा।

1880 से 1881 की अवधि में इसमें दो महत्वपूर्ण विस्फोट हुए। जिससे लावा ज्वालामुखी से बाहर निकलकर रिहायशी इलाके हिलो की सीमा के अंदर तक प्रवेश कर गया था।हालांकि इसमें कोई नुकसान नहीं हुआ।लेकिन यह काफी डरावना था।क्योंकि गर्म लावा इंसानी बस्तियों तक पहुंच गया था।इसके बाद छोटे विस्फोटों का सिलसिला जारी रहा।

इस ज्वालामुखी का वर्ष 1926 का विस्फोट काफी भयंकर था।इस विस्फोट के कारण हवाई द्वीप पर स्थित हूपुलोवा गांव में बाढ़ आ गया था।जिसके कारण कई घर,एक चर्च तथा एक बंदरगाह नष्ट हो गया था।इसके बाद वर्ष 1935 में जो विस्फोट हुआ।उससे बड़ी मात्रा में लावा बहकर हिलो गानव की ओर बढ़ रहा था।जो पूरे क्षेत्र को नष्ट करने के लिए काफी था।तब इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए बमबारी का प्रयोग किया गया। तभी इसका बहाव जनवरी 1936 में बंद हुआ।

इसके बाद वर्ष 1943 में विस्फोट हुआ। जिसमें लावा बहकर ज्वालामुखी के निचले हिस्से तक पहुंच गया था।जिसे बंद करने के लिए बमबारी का प्रयोग किया गया।इसके बाद वर्ष 1950 में एक बड़ा विस्फोट हुआ।जिससे ज्वालामुखी में एक बड़ा दरार बन गया।1950 के बाद इसमें किसी प्रकार की कोई हलचल नहीं देखी गई और एक लंबी अवधि तक यह शांत पड़ा रहा।

eruption in mauna loa in 1984

एक लंबी अवधि के बाद इसमें वर्ष 1984 में विस्फोट हुआ।जो काफी बड़ा था। लेकिन लावा के प्रवाह की दिशा बदल जाने के कारण इससे कोई नुकसान नहीं हुआ।इस विस्फोट के बाद यह वापस सुप्त अवस्था में चला गया।लेकिन 28 दिसंबर 2022 को यह फिर से सक्रिय हो गया है।


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