2023 में भारत में नवविवाहित जोड़ों के घूमने तथा हनीमून मनाने के लिए सबसे खूबसूरत जगह

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अपनी शादी को यादगार बनाना सभी नवविवाहित जोड़ों का सपना होता है। अपने जीवन साथी के साथ बिताये गये लम्हों को यादगार बनाने के लिए लोग हनीमून मनाने खूबसूरत जगहों पर जाते हैं और हसीन वादियों में बिताये गये प्यार भरी यादों को सदा के लिए अपने दिलों में बसा लेते हैं।

अगर आप भी नवविवाहित जोड़े हैं तो आपको अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए इन पर्यटन स्थलों में से किसी एक जगह अवश्य ही जाना चाहिए।

1. शिमला (हिमाचल प्रदेश) : 
 
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शिमला सिर्फ हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे भारत का सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जहां दूर-दूर से पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य को‌ अनुभव करने तथा सैर-सपाटे के लिए आते हैं। यहां की सुंदर वादियां, दुर्गम घाटियां एवं कल-कल करती नदियां सभी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। पहाड़ियों के ऊपर मंडराते बादल, यहां की सुंदरता में चार-चॉंद लगा देते हैं। असीम सुंदरता के कारण ही इसे " पहाड़ियों की मल्लिका " भी कहा जाता है। शिमला आने पर आप लोगों को ऐसा लगेगा जैसे किसी जन्नत पर पहुंच गये हैं।

यह हिल स्टेशन हिमाचल प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी है जो लघु हिमालय की धौलाधार श्रेणी पर स्थित है। शिमला की समुद्र तल से ऊंचाई करीब 2,200 मीटर है। ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां का तापमान बहुत कम रहता है तथा अकसर बर्फबारी देखने को मिलती है। सबसे ज्यादा बर्फबारी सर्दियों के मौसम में होती है जिसके कारण इस मौसम में लोग घरों से ज्यादा नहीं निकलते हैं। पूरा क्षेत्र बर्फ की चादर से ढक जाता है जिससे स्थानीय जनजीवन तथा आवागमन भी प्रभावित होता है। नदियां एवं झीलें जमकर बर्फ बन जाती हैं। दिसंबर से लेकर मई-जून तक मौसम बहुत सुहावना और अनुकूल रहता है। इन्हीं महीनों में सैलानी एवं नवविवाहित जोड़े प्रकृति का आनंद लेने शिमला आते हैं।

• किस मौसम में शिमला की सैर करनी चाहिए :

बरसात और कड़ाके की सर्दियों वाली मौसमों को छोड़कर  साल के बाकी सभी महीनों में शिमला की सैर की जा सकती है। अगर आप बर्फबारी का आनन्द लेना चाहते हैं तो दिसंबर से लेकार फरवरी तक सबसे अनुकूल समय है। क्योंकि इस दौरान सर्दी थोड़ी कम हो जाती है और आप बर्फबारी का पूरा लुत्फ उठा सकते हैं। मई-जून के महीनों में यहां भीड़ काफी ज्यादा होती है क्योंकि देश-विदेश के सैलानी तथा हनीमून कपल्स इन्हीं महीनों के दौरान शिमला आना ज्यादा पसंद करते हैं। होटलों की बुकिंग भी काफी पहले से कर ली जाती है जिसके कारण इस मौसम में होटल मिलना बहुत मुश्किल होता है। अगर आप भी इस दौरान शिमला जाने का प्लान बना रहे हैं तो होटलों की बुकिंग महीनों पहले ही कर लें तो बेहतर होगा ताकि आपको परेशानी का सामना न करना पड़े।

• शिमला तक कैसे पहुंचे : 

आप शिमला ट्रेन, बस तथा हवाई जहाज में से किसी भी माध्यम से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन " कालका (हरियाणा) " है, जहां पर पर देश के विभिन्न शहरों से ट्रेनें पहुंचती हैं। कालका से शिमला की दूरी करीब 88 किमी. है, जहां बस, टैक्सी तथा टोय ट्रेन के जरिये पहुंचा जा सकता है। हिमाचल प्रदेश का प्रमुख एयरपोर्ट " शिमला " है, जिसकी शिमला सिटी सेंटर की दूरी करीब 21 किमी. है‌ तथा यहां टैक्सी के जरिये पहुंचा जा सकता है। किंतु देश के अलग-अलग शहरों से शिमला तक बहुत कम फ्लाइट्स चलती हैं।  शिमला का नजदीकी एयरपोर्ट चंडीगढ़ है, जिसकी शिमला सिटी सेंटर से दूरी करीब 115 किमी. है। यहां से आपको शिमला तक पहुंचने के लिए बस तथा टैक्सी दोनों प्रकार की सुविधाएं मिल जाती हैं।


2. ऊटी (तमिलनाडु) :

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ऊटी भारत का एक अत्यंत खूबसूरत एवं जैव विविधता से परिपूर्ण हिल स्टेशन है जो तमिलनाडु राज्य में नीलगिरी पहाड़ियों की गोद में बसा है। इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के जीव एवं दुर्लभ प्रजातियां के वृक्ष पाए जाते हैं। इस प्रकार यह क्षेत्र अपनी जैव विविधता के कारण पूरे विश्व में विख्यात है। यहां के मनोरम दृश्यों को देखने एवं प्राकृतिक सुंदरता को अनुभव करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। यहां की हरी-भरी घाटियां एवं ऊंचे-ऊंचे पहाड़ सैलानियों को अपनी ओर खींच लाती हैं। ऊटी का आधिकारिक नाम " उदगमण्डलम " है, जो तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के अंतर्गत आता है। राजा- रजवाड़ों के काल में ऊटी, मद्रास प्रेसीडेंसी की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी। नीलगिरी की पहाड़ियों पर उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन पाये जाते हैं, जिसके कारण यह क्षेत्र वर्षभर हरा-भरा रहता है। इन क्षेत्रों में ही टोडा नामक स्थानीय जनजाति पायी जाती है।

• ऊटी की सैर करने का सबसे अच्छा समय : 

वैसे तो सालभर ही ऊटी में पर्यटकों एवं नवविवाहित जोड़ों का जमावड़ा लगा रहता है। लेकिन गर्मी के मौसम में यहां जाने का मजा ही कुछ अलग है। जब देश में भयंकर गर्मी पड़ रही हों तो ऐसे में यहां का सुहावना मौसम स्वर्ग की अनुभूति से कम नहीं है। यहां का वातावरण आपके तन और मन को एक नयी ऊर्जा से भर देता है। इस मौसम में आप यहां की झीलों एवं झरनों का भरपूर आनंद उठा सकते है।

• ऊटी किस तरह पहुंचे : 

ऊटी तक आप हवाई जहाज, ट्रेन तथा बस के जरिये आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी एयरपोर्ट कोयम्बटूर है, जहां से ऊटी लगभग 86 किलोमीटर दूर है। कोयंबटूर एयरपोर्ट से ऊटी बस या टैक्सी के द्वारा जा सकते हैं। अगर ट्रेन की बात करें तो कोयंबटूर से सीधे ऊटी तक ट्रेन नहीं चलतीं हैं। सबसे‌ पहले  कोयंबटूर से मेटटूपलायम तक नीलगिरी एक्सप्रेस के द्वारा जाना होता है। उसके बाद आप मेटटूपलायम से ऊटी तक भाप इंजन चलित टोय ट्रेन के द्वारा बड़ी ही आसानी से पहुंच सकते हैं। अगर आप कोयंबटूर से ऊटी तक बस से जाने का सोच रहे हैं तो केरला रोड़ ट्रांसपोर्ट कोर्पोरेशन की बसें बड़ी आसानी से एवं कम मूल्य पर मिल जायेंगी।


3. श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) : 

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कश्मीर को " भारत का स्वर्ग " कहा जाता है। इसकी सुंदरता को देखकर ऐसा लगता है मानो खुद ऊपर वाले ने इसे तराशा है।‌ ऊंचे-ऊंचे पहाड़ एवं बर्फ‌ की चादर से ढंकी यहां की घाटियां‌ इसकी सुंदरता को कई गुना बढ़ा देते हैं। कश्मीर में यूं तो कई सारे घूमने लायक पर्यटन स्थल हैं, पर आज हम हिमालय की गोद में बसे खूबसूरत श्रीनगर के बारे में बात करने वाले हैं।

श्रीनगर वृहत हिमालय पर स्थित जम्मू-कश्मीर प्रदेश का एक पहाड़ी जिला है। अपने प्राकृतिक सौंदर्य तथा मनोरम दृश्यों के कारण श्रीनगर हमेशा से ही सबके आकर्षण का केंद्र रहा है। एक बार कोई यहां आ जाता है तो यहीं का होकर रह जाता है। यहां की सुंदरता उसका मन मोह लेती हैं। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग यहां सुकुन के पल तलाशने आते हैं। 

• कब श्रीनगर की सैर करनी चाहिए : 

श्रीनगर की सैर के लिए फरवरी-मार्च से जून तक सबसे अनुकूल समय है। अगर आप बर्फबारी एवं विभिन्न खेलों जैसे स्नो क्लाइंबिंग, स्कैटिंग इत्यादि का मजा लेना चाहते हैं तो फरवरी-मार्च का महीना सबसे अच्छा रहेगा। इस मैसम में कई खूबसूरत जगहों की सैर की जा सकती है। जब देशभर में भीषण गर्मी पड़ रही होती हैं तब भी यहां का तापमान बहुत कम रहता है, जिससे लोगों को यहां गर्मी का पता ही नहीं चलता है। रात में तापमान दिन की तुलना में काफी नीचे गिर जाता है। इस कारण रातें यहां कड़ाके की ठंड वाली होती हैं।

• श्रीनगर कैसे पहुंचे :

अगर आप हवाई जहाज से श्रीनगर तक की यात्रा करना चाहते हैं तो विभिन्न शहरों से हवाई सेवा का उपयोग करके बड़ी ही आसानी से यहां पहुंच सकते हैं। यहां पर स्थित श्रीनगर एयरपोर्ट आपको यह सुविधा प्रदान करता है। ट्रेन के जरिए भी जम्मू तक जाया जा सकता है। वहां से बस या टैक्सी के द्वारा श्रीनगर तक पहुंचा जा सकता है, जिसकी दूरी 268 किलोमीटर के आसपास है। 


4. उदयपुर (राजस्थान) :

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अगर आप राजा-रजवाड़ो के प्राचीन इतिहास से रुबरु होना चाहते हैं तो आपको उदयपुर की सैर अवश्य करनी चाहिए। यहां आप प्राचीन किलों के साथ-साथ झीलों की सुंदरता को भी निहार सकते हैं। उदयपुर ही देश का ऐसा शहर है, जहां सबसे ज्यादा झीलें हैं। इस कारण उदयपुर को " झीलों का शहर " कहा जाता है। यहां प्राकृतिक तथा मानव निर्मित दोनों ही प्रकार की झीलें देखने को मिलती हैं। इस शहर को महाराजा उदयसिंह द्वितीय ने बसाया था।

उदयपुर में स्थित चित्तौड़गढ़ का किला विश्व प्रसिद्ध विरासत स्थल है। इस किले का इतिहास रानी पदमिनी के साथ जुड़ा हुआ है। इसकी दीवारें आज भी दिल्ली सल्तनत के महत्वाकांक्षी शासक अलाउद्दीन खिलजी की क्रूरता की कहानी बयां करती हैं। लोग कहते हैं - रानी पदमिनी की सुंदरता पर मोहित होकर उसे पाने की चाह में ही उसने चित्तौड़गढ़ में खून की नदियां बहाई थीं। रानी पदमिनी के साथ हजारों औरतों ने आपने आन को बचाने के लिए अग्नि में जलकर प्राणों की आहुति दी थी। प्रसिद्ध बॉलीवुड फिल्म " पदमावत " की कहानी चित्तौड़गढ़ के इतिहास पर आधारित है। इन ऐतिहासिक स्थलों को देखने के लिए एक बार राजस्थान में उदयपुर की सैर जरूर करनी चाहिए। चित्तौड़गढ़ के अलावा यहां कई और छोटे-बड़े किले हैं। ठहरने के लिए होटल्स की सुविधा भी आपको आसानी से मिल जायेंगी।

• उदयपुर की सैर कब करनी चाहिए : 

गर्मी के मौसम को छोड़कर किसी भी समय उदयपुर की यात्रा की जा सकती है। फिर चाहे वो जाड़े का मौसम हो या बरसात का। गर्मी के दिनों में यहां भीषण गर्मी पड़ती है। इसलिए इस मौसम में घुमाना-फिरना बहुत मुश्किल होता है। लोग ज्यादातर जाड़े में ही उदयपुर जाना पसंद करते हैं। क्योंकि इस दौरान बिना किसी परेशानी के अच्छी तरह सैर-सपाटा किया जा सकता है और इतिहासिक स्थलों को भी देखा जा सकता है। बरसात के मौसम में भी आप उदयपुर शहर की यात्रा का भरपूर आनंद ले सकते हैं क्योंकि यहां देश के अन्य राज्यों की तुलना में कम बारिश होती है। इस मौसम में सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की सुंदरता और भी ज्यादा बढ़ जाती है। पर्यटक, शादीशुदा एवं नवविवाहित जोड़े इन्हीं दो मौसमों में इस शहर की सैर पर आते हैं।

• उदयपुर कैसे पहुंचे : 

अगर आप ट्रेन से उदयपुर की यात्रा करना चाहते हैं तो देश के विभिन्न शहरों से ट्रेनें आपको उदयपुर स्टेशन तक पहुंचा सकती हैं। यहां हवाई जहाज के द्वारा भी पहुंचा जा सकता है। निकटतम एयरपोर्ट उदयपुर है लेकिन अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट न होने के कारण यहां ज्यादा उड़ानें नहीं चलतीं हैं। अगर आपके शहर से हवाई सेवा की सुविधा न मिले तो आप जयपुर तक हवाई जहाज से पहुंचकर उदयपुर तक की यात्रा बस, टैक्सी या ट्रेन के द्वारा भी पूरी कर सकते हैं।


5. अलेप्पी (केरल) : 

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अगर आप अपने जीवन साथी के साथ हाउस बोट, खूबसूरत समुद्र तट, उगते और डूबते सूरज तथा आयुर्वेदिक मसाज का आनन्द लेना चाहते हैं तो आपको अलेप्पी जरूर आना चाहिए। यहां आप झीलों के ऊपर तैरते हाउस बोट से झीलों और आसपास की सुंदरता को निहार सकते हैं। इन हाउस बोट्स में खाने-पीने से लेकर आराम करने तक, सभी प्रकार की सुविधाएं मिलती हैं। पानी के ऊपर सैर करते हुए रात कब बीत जायेगी, आपको पता भी नहीं चलेगा। क्योंकि आपको एहसास ही नहीं होगा आप पानी के ऊपर तैर रहे हैं। ऐसा लगेगा जैसे आप घर के अंदर आराम कर रहे हैं।

अलेप्पी के समुद्र तट में सन बाथ का मजा लिया जा सकता है। यहां की रेतीली तटों से विशाल समुद्र को देखा जा सकता है। ठंडी-ठंडी हवाएं तन और मन को एक अलग ही सुकुन देती हैं। उगते और डूबते सूरज का नजारा देखने लायक होता है। आकाश और धरती लालिमा लिए एक-दूसरे से मिलती हैं। यहां आप आयुर्वेदिक उपचार और मसाज का आनन्द उठा सकते हैं। आयुर्वेदिक तेल से किते गये मालिश से शरीर में नयी ऊर्जा का प्रवाह होता है।

• किस समय अलेप्पी की यात्रा करनी चाहिए : 

मानसून को छोड़कर किसी भी मौसम में अलेप्पी की सैर की जा सकती है। मानसून में यहां मूसलाधार बारिश होती होती है क्योंकि यह क्षेत्र पश्चिमी घाट पर स्थित है। अत्यधिक बारिश के कारण इस मौसम में यहां घूमना-फिरना बहुत मुश्किल होता है। सर्दियों और गर्मियों में यहां का वातावरण बहुत सुहावना होता है। इस दौरान आप प्रकृति का भरपूर आनंद ले सकते हैं।

• अलेप्पी कैसे पहुंचे : 

 ट्रेन से अलेप्पी पहुंचने के लिए देश के विभिन्न शहरों से सीधे अलेप्पी/अलप्पुझा स्टेशन तक ट्रेनें चलती हैं। बस के द्वारा भी देश के अलग-अलग शहरों से यहां पहुंचा जा सकता है। अगर आप हवाई जहाज से यहां आना चाहते हैं तो निकटतम एयरपोर्ट कोच्चि है। जो अलेप्पी से 53 किलोमीटर की दूरी पर है। कोच्चि एयरपोर्ट से बस या टैक्सी द्वारा आसानी से अलेप्पी पहुंचा जा सकता है।


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