दिल्ली में वायु प्रदूषण कैसे बना लोगों के लिए खतरा

 

Delhi Air Pollution

विगत कुछ वर्षों से दिल्ली की हवा बहुत ही ज्यादा प्रदूषित हो गई है। इसमें इतने सारे हानिकारक प्रदूषक घुल गए हैं, जो शरीर को बीमारियों का घर बनाने के लिए काफी हैं। एक जीवित प्राणी के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज हवा है जो उसे जिंदा रखती है। हवा के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ऐसे में अगर जीवनदायिनी हवा ही प्रदूषित हो जाए तो अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। दिल्ली में वायु प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है कि लोग डर के कारण अपने घरों से बाहर निकलने से भी कतरा रहे हैं। जिन सड़कों पर भीड़-भाड़ हुआ करती थीं, वो आज सुनसान पड़ गई हैं। मैदानों में खेलने वाले बच्चे एवं युवा, पार्कों में व्यायाम करते लोग तथा सड़कें पर टहलते लोग भी गायब हो गए हैं। ऐसे हालात में डर लगना स्वाभाविक है। आखिर किसे अपने स्वास्थ्य की चिंता नहीं होती है। हर कोई बीमारी मुक्त लंबा जीवन जीना चाहता है। 

दिल्ली में वायु प्रदूषण इसलिए भी चिंता का विषय है ‌क्योंकि यहां वायु प्रदूषण खतरे के स्तर से कहीं ज्यादा ऊपर है। यहां की प्रदूषित हवा श्वास संबंधी कई गंभीर बीमारियां उत्पन्न कर रही है। खासकर बच्चे एवं बुजुर्ग व्यक्ति इसकी चपेट में बहुत जल्दी आ रहे हैं। इससे व्यस्क एवं युवा वर्ग भी अछूता नहीं है। वे भी इसका शिकार बन रहे हैं। अगर बीमार लोगों में लक्षणों की बात करें तो इसमें उल्टी, चक्कर, सांस लेने में तकलीफ़, सीने में जकड़न एवं भारीपन, धुंधलापन‌ एवं दिखाई न देना, लगातार खांसना इत्यादि शामिल हैं। इसके कारण हाई ब्लडप्रेशर से पीड़ित लोगों में हार्ट अटैक की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। पहले से गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए तो यह काल साबित हो रहा है।

दिल्ली में वायु प्रदूषण ठंड के मौसम में अचानक से बढ़ जाता है और हवा का धुंध चारों ओर छा जाता है। इस धुंध में कई हानिकारक प्रदूषक होते हैं। यह धुंध इतना घना होता है कि नजदीक की चीजें भी स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ठंड के कारण हवाएं ऊपर नहीं उठ पाती हैं और धरती की सतह के नजदीक ही मंडराती हैं। दिल्ली की भौगोलिक स्थिति भी वायु प्रदूषण को बढ़ावा दे रही है। हिमालय से नजदीकी तथा ऊंचाई पर स्थित होना भी इसका मुख्य कारण है।

बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकार ने‌ पेट्रोल तथा डीजल वाहनों की अपेक्षा सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा दिया है। पुराने वाहनों को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। दिल्ली में 15 साल से ज्यादा पुराने दो पहिया वाहनों तथा 10 साल से ज्यादा पुराने चार पहिया वाहनों को चलाते की अनुमति नहीं है। अगर कोई इन वाहनों को सड़कों पर चलाता हुआ पाया जाता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाती है और भारी जुर्माना भी वसूला जाता है। सरकार के इन प्रयासों से प्रदूषण कुछ हद तक कम तो हुआ है लेकिन खतरे के स्तर से ऊपर ही है। 

इस पोस्ट में आगे हम दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारणों एवं इसके दुष्परिणामों की विस्तार से चर्चा करेंगे। लोग इस संकट की घड़ी में कैसे अपना बचाव करें, इसकी भी चर्चा करेंगे।

• दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का कारण क्या है :

दिल्ली में बेतहाशा बढ़ रहे प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों एवं वाहनों से निकलने वाला धुआं है। देश की राजधानी एवं महानगर होने के कारण यहां की जनसंख्या अपेक्षाकृत अधिक है। जनसंख्या अधिक होने के कारण यहां पर उद्योगों का विकास भी काफी तेजी से हुआ है। यहां पर स्थित खनिजों पर आधारित लौह-इस्पात उद्योग, कोयले पर आधारित विद्युत उत्पादन केंद्र एवं इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों को बनाने वाली फैक्ट्रियों के द्वारा कई जहरीले रसायन हवा में छोड़े जा रहे हैं। इन सबमें कोयले पर आधारित विद्युत उत्पादन केंद्रों द्वारा सबसे ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है, क्योंकि इससे निकलने वाला धुआं काफी गाढ़ा होता है। यहां पर स्थित फैक्ट्रियों की चिमनियां भी इतनी ऊंची नहीं हैं कि वे जहरीले धुंए को एक सुरक्षित ऊंचाई तक पहुंचा सके। इससे धुआं वातावरण में फैल जाता है और शुद्ध हवा को भी प्रदूषित कर देता है।

दिल्ली से सटे हरियाणा और उत्तरप्रदेश तथा‌ निकटवर्ती राज्य पंजाब में किसानों द्वारा बड़ी मात्रा में पराली जलाने से बहुत ज्यादा धुंआ हवा में फैल जाता है। यही धुआं दिल्ली तक पहुंचकर वहां की हवा को प्रदूषित कर रहा है। 

गर्मियों के दिनों में थार रेगिस्तान से चलने वाली धूल भरी गर्म हवाएं भी दिल्ली में प्रदूषण को बढ़ा रही हैं। ये हवाएं अपने साथ धूल एवं कंकड़ के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपने साथ उड़ा ले जाती हैं। भरी होने के कारण ये कण हवा में धरती की सतह के समीप ही उड़ते रहते हैं और हवा को प्रदूषित कर देते हैं।  

• दिल्ली की भौगोलिक स्थिति किस प्रकार प्रदूषण को बढ़ावा दे रही है :

दिल्ली एक ऐसा प्रदेश है जो ऊंचाई पर एवं हिमालय के समीप स्थित है। सर्दी के मौसम में यहां का तापमान काफी गिर जाता है। कभी-कभी यह 0° सेल्सियस के नीचे भी चला जाता है। सालभर का औसत तापमान भी कम ही रहता‌ है। सर्दियों में धूप के बावजूद अत्यधिक ठंड पड़ने के कारण धरती की सतह काफी ठंडी हो जाती है, जिससे वह सतह के नजदीक स्थित हवा को निरंतर ठंडा करती रहती है। जबकि सतह से कुछ ऊपर स्थित हवा धूप के कारण गर्म हो जाती है। सतह के समीप तापमान कम होने के कारण हवा का प्रवाह ऊपर की ओर नहीं हो पाता है और हवा नीचे ही  फंस कर रह जाती है। जिससे चारों ओर धुंध फैल जाता है। इसमें अगर हानिकारक प्रदूषक एवं रासायनिक अपशिष्ट मौजूद होंगे तो ये हवा को भी दूषित कर देंगे।

हवा के प्रवाह के सिद्धांत के अनुसार हवाएं हमेशा उच्च दाब से निम्न दाब की ओर प्रवाहित होती हैं। उच्च दाब का क्षेत्र वहां विकसित होगा, जहां का तापमान कम होगा। इसके विपरीत जहां का तापमान अधिक होगा, वहां निम्न दाब का क्षेत्र विकसित होगा। इसी परिघटना के कारण ही दिल्ली में वायु प्रदूषण बाकी राज्यों की तुलना में अधिक है।

• Air Quality Index क्या होता है और दिल्ली में Air Quality Index कितना है :

 Air Quality Index हवा में प्रदूषण को मापने का एक मानक है, जिसके द्वारा यह निर्धारित किया जाता है कि हवा सांस लेने के लिए सुरक्षित है या नहीं। अगर इसका मान सुरक्षित स्तर से अधिक हो जाए तो हवा को दूषित माना जाता है। Air Quality Index में हवा की गुणवत्ता के निर्धारण के लिए संख्या का प्रयोग किया जाता है। AQI के विभिन्न मानों के अनुसार हवा की गुणवत्ता को अलग-अलग वर्गों में निम्न प्रकार से बांटा गया है -

(i) अगर इसका मान 0 से लेकर 50 तक होता है, तो हवा की गुणवत्ता अच्छी है और यह हवा सांस लेने के लिए सुरक्षित है। इसमें प्रदूषण की मात्रा बहुत कम होती है। 

(ii) अगर इसका मान 51 से लेकर 100 तक होता है, तो हवा की गुणवत्ता मध्यम स्तर की है और हवा सांस लेने योग्य है। हालांकि यह उन‌ लोगों में एलर्जी के लक्षण पैदा करता है, जो वायु प्रदूषण के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं।

(iii) अगर इसका मान 101 से लेकर 150 तक होता है, तो इस प्रकार की हवा संवेदनशील वर्ग के लिए असुरक्षित होती है। यह संवेदनशील लोगों में स्वास्थ्य से संबंधित विकार पैदा करता है। हालांकि इससे आम लोगों में कोई विकार पैदा नहीं होता है।

(iv) अगर इसका मान 151 से लेकर 200 तक होता है, तो यह आम लोगों के लिए भी असुरक्षित होती है। इससे लोगों में स्वास्थ्य संबंधी कई विकार पैदा हो सकते हैं।

(v) अगर इसका मान 201 से लेकर 300 तक होता है, तो यह सभी स्वस्थ लोगों के लिए भी काफी असुरक्षित होती है। इससे स्वास्थ्य से संबंधित गंभीर विकार उत्पन्न हो सकते हैं।

(vi) जब इसका मान 301 से ज्यादा हो जाए तो यह खतरे की घंटी है और यह बताता है कि हवा‌ पूरी तरह प्रदूषित हो चुकी है। यह हवा फेफड़ों में जाने पर अत्यंत गंभीर लक्षण पैदा कर सकता है। 

वर्तमान में दिल्ली की हवा का Air Quality Index 500 के आसपास है, जो यह दर्शाता है कि दिल्ली की हवा बहुत ज्यादा प्रदूषित हो गई और इस हवा में ज्यादा देर तक सांस लेना खतरे से खाली नहीं है।

• दिल्ली के लोग जहरीली हवा से अपना बचाव कैसे करें :

लोग बेवजह अपने घरों से न निकलें। हवा को शुद्ध करने के लिए घरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। जिनके घरों में एयर कंडीशनर लगा हुआ है, वे इससे हवा को प्यूरीफाय कर सकते हैं। क्योंकि यह बाहर की प्रदूषित को छान कर हमें ताजी हवा देता है। जो लोग जरूरत की चीजों के लिए घरों से बाहर निकलते हैं, उन्हें N95 मास्क अवश्य इस्तेमाल करना चाहिए। N95 मास्क की जगह कपड़े का मास्क इस्तेमाल न करें, क्योंकि यह प्रदूषित हवा को छान नहीं सकता है और हमारे शरीर में जहरीली हवा पहुंच जाती है।

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