ब्रॉयलर (पोल्ट्री) चिकेन‌ हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है या बुरा ?

benefits of broiler chicken

आज के इस पोस्ट में मैं आप सबों के लिए स्वास्थ्य से संबंधित एक महत्वपूर्ण बिषय लेकर आया हूं जो हर किसी के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। आज का हमारा विषय ब्रॉयलर (पोल्ट्री) चिकेन से संबंधित है। वर्तमान समय में देश की आधी से ज्यादा आबादी मांस के रूप में इसका उपभोग करती है। लेकिन इसके उपभोग के क्या फायदे या नुकसान हैं, यह नहीं जानती। इन्हीं सब चीजों से आपको अवगत करने के लिए मैंने यह पोस्ट लिखा है।

• ब्रॉयलर (पोल्ट्री) चिकेन क्या है ?

Broiler Chicken मुर्गियों की हाइब्रिड प्रजाति है जिसका उत्पादन मुख्य रूप से मांस के रूप में उपभोग के लिए किया जाता है। जिस प्रकार फलों, अनाज एवं सब्जियों की हाइब्रिड प्रजाति होती हैं जो सामान्य प्रजाति से कई गुना ज्यादा पैदावार देती हैं, उसी प्रकार मुर्गियों की यह हाइब्रिड प्रजाति कम समय में ज्यादा मांस का उत्पादन करती है। ये मुर्गियां 45 से लेकर 60 दिनों के अंदर ही खाने लायक हो जाती हैं। इन्हें हाई प्रोटीन तथा विटामिन से युक्त चारा खिलाया जाता है जो इसकी वृद्धि को बढ़ावा देता है। इन्हें कई प्रकार के वृद्धि हार्मोन का इंजेक्शन भी दिया जाता है। इनमें देशी मुर्गियों की तुलना में इम्यूनिटी की कमी होती है, जिसके कारण ये बहुत जल्द बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इसलिए इन्हें समय समय पर वैक्सीनेशन की भी आवश्यकता होती है जो इनके शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता का विकास करता है। ये काफी नाजुक किस्म की प्रजाति है, जिस कारण इनके पालन में बहुत तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। इन्हें बीमारियों से बचाने के लिए इनके आवास को साफ-सुथरा रखना बहुत जरूरी है।

• ये किस प्रकार से देशी प्रजाति से भिन्न है ?

ब्रॉयलर (पोल्ट्री) कई मायनों में देशी प्रजाति से भिन्न है। जहां देशी मुर्गियों का विकास बहुत धीमा गति से होता है, वहीं ब्रॉयलर (पोल्ट्री) का विकास डेढ़ से दो महीनों में हो जाता है। देशी मुर्गियों का मांस बहुत सख्त होता है, वहीं पोल्ट्री का मांस अपेक्षाकृत नरम होता है। देशी प्रजाति में रोग प्रतिरोधक क्षमता पोल्ट्री की अपेक्षा कई गुना ज्यादा होती है। देशी मुर्गियां किसी भी प्रकार का भोजन उपभोग कर सकती है जबकि पोल्ट्री को विशेष चारे की आवश्यकता होती है, नहीं तो उनके विकास की दर धीमी पड़ जाती है। देशी प्रजाति किसी भी मौसम में जिंदा रह सकती हैं जबकि पोल्ट्री को एक ऐसे वातावरण की जरूरत होती है जिसमें न ज्यादा गर्मी हो और न ही ज्यादा ठंड। ये मुर्गियां ज्यादा ठंड और गर्म में रहने पर मर जाती हैं। इनके रहने की जगह भी साफ-सुथरी एवं सूखी होनी चाहिए। पानी में भींग जाने पर इन्हें कई प्रकार की बीमारियां लग जाती हैं। जहां तक वैक्सीनेशन की बात है, ब्रॉयलर (पोल्ट्री) को इसकी ज्यादा आवश्यकता पड़ती है क्योंकि उनकी इम्यूनिटी देशी की तुलना में कम होती है। पोल्ट्री मुर्गियों में बीमारी काफी तेजी से फैलती हैं और बीमारी से ग्रसित मुर्गियों का बचना नामुमकिन होता है। देशी मुर्गियों में बीमारियां पोल्ट्री की अपेक्षा कम लगती हैं और बीमारी ग्रस्त मुर्गियां भी बच जाती हैं।

• ब्रॉयलर (पोल्ट्री) चिकेन किन पोषक पदार्थों से भरपूर होता है ?

 ब्रॉयलर (पोल्ट्री) चिकेन प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है। इसमें स्थित पोषक पदार्थों में सबसे ज्यादा प्रोटीन की मात्रा होती है। हालांकि इसमें आयरन, जिंक, विटामिन के साथ-साथ फैटी एसिड भी पाया जाता है। प्रोटीन हमारे शरीर में कोशिका निर्माण के लिए बहुत आवश्यक तत्व है, क्योंकि कोशिकाएं प्रोटीन से ही बनी होती हैं। इसके अभाव में शरीर का विकास रुक जाता है तथा कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं। इसलिए मांस का सेवन हमारे शरीर को प्रोटीन की आपूर्ति करता है। इसी तरह फैटी एसिड हृदय की बीमारियों, कैंसर, मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों, अर्थराइटिस, उच्च रक्तचाप, मधुमेह तथा दृष्टि से संबंधित बीमारियों से हमें बचाता है। वही विटामिन बी-6 तथा बी-12 शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। पोल्ट्री चिकेन में इनकी पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। इसलिए इससे शरीर की प्रोटीन, विटामिन और फैटी एसिड की आवश्यकता पूरी हो जाती है।

 • क्या पोल्ट्री चिकेन के साइड इफेक्ट्स हैं ?

अगर Poultry Chicken के Side Effects की बात करते हैं तो इसमें तब तक साइड इफेक्ट्स देखने को नहीं मिलता है जब तक मुर्गियों पर किसी तरह की हानिकारक दवाइयों का इस्तेमाल न किया गया हो। वैसे सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार कुछ दवाइयों एवं ग्रोथ हार्मोन्स को दिए जाने की अनुमति है। इनकी एक निश्चित मात्रा निर्धारित की गई है। इससे ज्यादा उपयोग हानिकारक होता है। आजकल ज्यादा मुनाफे के लालच में फार्म मालिक मुर्गियों को वैसी दवाइयां भी दे रहे हैं जो सरकार द्वारा पूरी तरह बैन हैं। इन्हें कई प्रकार के एंटीबायोटिक्स भी दिए जाते हैं और जब कोई मनुष्य इसका सेवन करता है तो इनका प्रभाव मानव शरीर पर भी पड़ता है। एंटीबायोटिक्स हमारे शरीर में रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणु एवं विषाणुओं से लड़ने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है।

पोल्ट्री चिकेन खाना नुकसानदेह नहीं है लेकिन हानिकारक दवाइयों से युक्त पोल्ट्री चिकेन हानिकारक है। जिन फार्मों में सरकार की गाइडलाइंस का पालन करते हुए मुर्गीपालन किया जाता है, वहां की मुर्गियों से प्राप्त मांस उपभोग के लिए सर्वोत्तम है। इससे आपको हानिकारक दवाइयों के दुष्प्रभाव से मुक्त पौष्टिक आहार एवं विटामिन, प्रोटीन तथा फैटी एसिड मिलेगा।

• किन लोगों को पोल्ट्री चिकेन का सेवन नहीं करना चाहिए ?

वैसे लोग जो हृदय या मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों से ग्रसिय हैं, उन्हें पोल्ट्री चिकेन का सेवन नहीं करना चाहिए। मधुमेह (डायबिटीज) तथा उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) में भी इसका उपभोग वर्जित है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपको यह पता नहीं होता है कि यह चिकेन किस फार्म से आया है, उन्हें किस तरह पाला गया है तथा उन पर हानिकारक दवाइयों का इस्तेमाल किया गया है या नहीं। चमड़ा युक्त चिकेन का सेवन तो एक स्वास्थ्य इंसान को भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इन मुर्गियों को दिए गए सभी हानिकारक दवाइयों मुख्य रूप से चमड़े में ही एकत्रित हो जाती हैं। हाई ब्लडप्रेशर वाले व्यक्तियों को तो चमड़ा युक्त चिकेन बिल्कुल ही नहीं खाना चाहिए। ये शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाता है जिससे हृदय पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। इससे व्यक्तियों में हार्ट अटैक की संभावना काफी बढ़ जाती है।

बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति पोल्ट्री चिकेन के विकल्प के रूप में देशी चिकेन का सेवन कर सकते हैं जो हानिकारक दवाइयों से मुक्त एवं प्रोटीन, विटामिन तथा फैटी एसिड से भरपूर होता है। इसमें आपको ये सारे पोषक पदार्थ पोल्ट्री चिकेन से भी ज्यादा मिलेगा।

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